EMRS General Hindi: विसर्ग संधि - परिभाषा, प्रकार, 100 उदाहरण, ट्रिक्स, और MCQs
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परिचय
विसर्ग संधि हिंदी और संस्कृत व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे EMRS, TGT, PGT, CTET, REET, और UPSC में अक्सर पूछा जाता है। यह ब्लॉग विसर्ग संधि की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण, ट्रिक्स, और MCQs को विस्तार से कवर करेगा, ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें और परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
विसर्ग संधि की परिभाषा
विसर्ग संधि तब होती है जब किसी शब्द के अंत में विसर्ग (ः) और उसके बाद आने वाले स्वर या व्यंजन के मेल से ध्वनि में परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन मुख्य रूप से संस्कृत-निष्ठ हिंदी शब्दों में देखा जाता है। उदाहरण: निः + छल = निश्छल।
सूत्र: विसर्जनीयस्य सः (विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के संयोग से उत्पन्न विकार को विसर्ग संधि कहते हैं।) (alert-success)
विसर्ग संधि के प्रकार
विसर्ग संधि के पांच प्रमुख प्रकार हैं:
- सत्व संधि: विसर्ग के बाद खर् प्रत्याहार (क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स) के वर्ण आने पर विसर्ग ‘स्’, ‘श्’, या ‘ष्’ में बदल जाता है।
- षत्व संधि: विसर्ग से पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो और बाद में क, ख, प, फ हो, तो विसर्ग ‘ष्’ में बदल जाता है।
- रुत्व संधि: विसर्ग से पहले ‘अ’ या ‘आ’ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में स्वर, तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण, या य, र, ल, व, ह हो, तो विसर्ग ‘र्’ में बदल जाता है।
- उत्व संधि: विसर्ग से पहले ‘अ’ हो और बाद में ‘अ’ या हश् (तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण, य, र, ल, व, ह) हो, तो विसर्ग ‘ओ’ में बदल जाता है।
- विसर्ग लोप संधि: विसर्ग से पहले ‘अ’ या ‘आ’ हो और बाद में कोई स्वर (अ को छोड़कर) या हश् वर्ण हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
विसर्ग संधि के नियम
- विसर्ग से पहले ‘अ’ और बाद में ‘अ’ या हश् वर्ण: विसर्ग ‘ओ’ में बदल जाता है। यदि बाद में ‘अ’ हो, तो वह अवग्रह (ऽ) में बदल जाता है।
उदाहरण: रामः + अवदत् = रामोऽवदत्, मनः + हरः = मनोहरः। - विसर्ग से पहले ‘इ’ या ‘उ’ और बाद में क, ख, प, फ: विसर्ग ‘ष्’ में बदल जाता है।
उदाहरण: निः + पाप = निष्पाप, दुः + कर्म = दुष्कर्म। - विसर्ग से पहले ‘अ’ या ‘आ’ को छोड़कर कोई स्वर और बाद में स्वर या हश्: विसर्ग ‘र्’ में बदल जाता है।
उदाहरण: निः + बल = निर्बल, दुः + आशा = दुराशा। - विसर्ग के बाद च, छ: विसर्ग ‘श्’ में बदल जाता है।
उदाहरण: निः + छल = निश्छल। - विसर्ग के बाद ट, ठ: विसर्ग ‘ष्’ में बदल जाता है।
उदाहरण: धनुः + टंकार = धनुष्टंकार। - विसर्ग के बाद त, थ, स: विसर्ग ‘स्’ में बदल जाता है।
उदाहरण: नमः + ते = नमस्ते। - विसर्ग के बाद र और पहले अ, आ को छोड़कर स्वर: विसर्ग का लोप हो जाता है, और पहले का स्वर दीर्घ हो जाता है।
उदाहरण: निः + रोग = नीरोग। - विसर्ग के बाद क, ख, प, फ (बिना स्वर): विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता।
उदाहरण: अंतः + करण = अंतःकरण। - विसर्ग के बाद श, ष, स: विसर्ग ज्यों का त्यों रहता है या आगे के अक्षर के अनुसार बदल जाता है।
उदाहरण: दुः + शासन = दुश्शासन। - विशेष: सः और एषः में विसर्ग का लोप हो सकता है यदि बाद में व्यंजन हो (नकारात्मक तत्पुरुष समास को छोड़कर)।
उदाहरण: सः + गायति = स गायति।
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विसर्ग संधि के 100 उदाहरण (संधि और विच्छेद सहित)
क्रम |
संधि |
संधि विच्छेद |
1 |
निश्चय |
निः + चय |
2 |
दुष्कर्म |
दुः + कर्म |
3 |
निश्छल |
निः + छल |
4 |
मनोहर |
मनः + हर |
5 |
नमस्ते |
नमः + ते |
6 |
निर्बल |
निः + बल |
7 |
दुराशा |
दुः + आशा |
8 |
नीरोग |
निः + रोग |
9 |
पुरस्कार |
पुरः + कार |
10 |
निष्पाप |
निः + पाप |
11 |
दुराचरण |
दुः + आचरण |
12 |
मनोबल |
मनः + बल |
13 |
निस्संतान |
निः + संतान |
14 |
दुष्ट |
दुः + ट |
15 |
तपोवन |
तपः + वन |
16 |
निरंतर |
निः + अंतर |
17 |
धनुष्टंकार |
धनुः + टंकार |
18 |
यशोदा |
यशः + दा |
19 |
अधोगति |
अधः + गति |
20 |
निष्कलंक |
निः + कलंक |
21 |
दुरसह |
दुः + असह |
22 |
दुश्शील |
दुः + शील |
23 |
नमस्कार |
नमः + कार |
24 |
निस्संदेह |
निः + संदेह |
25 |
चतुष्पाद |
चतुः + पाद |
26 |
निराहार |
निः + आहार |
27 |
मनोनुकूल |
मनः + अनुकूल |
28 |
दुरुपयोग |
दुः + उपयोग |
29 |
नीरस |
निः + रस |
30 |
रामोऽवदत् |
रामः + अवदत् |
31 |
दुष्कर |
दुः + कर |
32 |
निश्चल |
निः + चल |
33 |
तपोबल |
तपः + बल |
34 |
निष्फल |
निः + फल |
35 |
मनोरथ |
मनः + रथ |
36 |
दुर्योधन |
दुः + योधन |
37 |
निराशा |
निः + आशा |
38 |
रामश्च |
रामः + च |
39 |
निस्तार |
निः + तार |
40 |
दुष्प्रभाव |
दुः + प्रभाव |
41 |
शिवोऽहम् |
शिवः + अहम् |
42 |
निष्पति |
निः + पति |
43 |
दुरचर |
दुः + अचर |
44 |
कोऽपि |
कः + अपि |
45 |
निश्शंक |
निः + शंक |
46 |
दुस्साहस |
दुः + साहस |
47 |
पयोधि |
पयः + धि |
48 |
निर्गुण |
निः + गुण |
49 |
मनस्ताप |
मनः + ताप |
50 |
दुष्टवाणी |
दुः + वाणी |
51 |
नीरव |
निः + रव |
52 |
दुश्चरित्र |
दुः + चरित्र |
53 |
रजोगुण |
रजः + गुण |
54 |
निष्कट |
निः + कपट |
55 |
दुष्प्रकृति |
दुः + प्रकृति |
56 |
यशोराशि |
यशः + राशि |
57 |
निरजन |
निः + जन |
58 |
दुरबल |
दुः + बल |
59 |
नमो नमः |
नमः + नमः |
60 |
दुष्कृति |
दुः + कृति |
61 |
पयोधर |
पयः + धर |
62 |
निष्कर |
निः + कर |
63 |
दुरनय |
दुः + नय |
64 |
मनोज |
मनः + ज |
65 |
निस्सार |
निः + सार |
66 |
दुष्परिणाम |
दुः + परिणाम |
67 |
तपोभूमि |
तपः + भूमि |
68 |
निरीक्षण |
निः + ईक्षण |
69 |
दुरदृष्टि |
दुः + दृष्टि |
70 |
शिवो वन्द्यः |
शिवः + वन्द्यः |
71 |
निष्प्रयोजन |
निः + प्रयोजन |
72 |
दुष्काव्य |
दुः + काव्य |
73 |
रजःकण |
रजः + कण |
74 |
निष्प्रभ |
निः + प्रभ |
75 |
दुरवस्था |
दुः + अवस्था |
76 |
मनोकामना |
मनः + कामना |
77 |
निष्प्रकाश |
निः + प्रकाश |
78 |
दुष्टसंग |
दुः + संग |
79 |
पयःपान |
पयः + पान |
80 |
निरोगी |
निः + रोगी |
81 |
दुरभिमान |
दुः + अभिमान |
82 |
नमो हसति |
नमः + हसति |
83 |
दुष्प्रचार |
दुः + प्रचार |
84 |
कोऽत्र |
कः + अत्र |
85 |
निष्काम |
निः + काम |
86 |
दुरनुभव |
दुः + अनुभव |
87 |
मनोयोग |
मनः + योग |
88 |
निष्पक्ष |
निः + पक्ष |
89 |
दुष्टात्मा |
दुः + आत्मा |
90 |
हरिश्चन्द्र |
हरिः + चन्द्र |
91 |
निष्प्रभव |
निः + प्रभाव |
92 |
दुरन्याय |
दुः + अन्याय |
93 |
तपोरति |
तपः + रति |
94 |
निर्झर |
निः + झर |
95 |
दुरवरोध |
दुः + अवरोध |
96 |
मनोविकार |
मनः + विकार |
97 |
निष्प्रताप |
निः + प्रताप |
98 |
दुष्प्रयास |
दुः + प्रयास |
99 |
यशोधन |
यशः + धन |
100 |
निराधार |
निः + आधार |
विसर्ग संधि पहचानने की ट्रिक्स
- विसर्ग की पहचान: सबसे पहले शब्द के अंत में विसर्ग (ः) की मौजूदगी देखें। उदाहरण: दुः, निः, रामः।
- पहले और बाद के वर्ण की जाँच:
- विसर्ग से पहले का वर्ण (अ, आ, इ, उ, आदि) और बाद का वर्ण (स्वर, व्यंजन, या विशेष वर्ण जैसे च, छ, त, थ) देखें।
- यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ और बाद में ‘अ’ या हश् वर्ण हो, तो विसर्ग ‘ओ’ में बदलता है।
- यदि विसर्ग से पहले ‘इ’ या ‘उ’ और बाद में क, ख, प, फ हो, तो विसर्ग ‘ष्’ में बदलता है।
- लोप की जाँच: यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ या ‘आ’ को छोड़कर कोई स्वर और बाद में ‘र’ हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है, और पहले का स्वर दीर्घ होता है।
- सत्व नियम: विसर्ग के बाद च, छ, ट, ठ, त, थ, स, श, ष हो, तो विसर्ग क्रमशः ‘श्’, ‘ष्’, या ‘स्’ में बदलता है।
- सः और एषः का विशेष नियम: इन शब्दों में विसर्ग का लोप हो सकता है यदि बाद में व्यंजन हो।
ट्रिक मंत्र:
- अ + विसर्ग + अ/हश् = ओ (उदाहरण: मनः + हर = मनोहर)
- इ/उ + विसर्ग + क/ख/प/फ = ष् (उदाहरण: निः + पाप = निष्पाप)
- अ/आ को छोड़कर स्वर + विसर्ग + र = लोप, स्वर दीर्घ (उदाहरण: निः + रोग = नीरोग)
- विसर्ग + च/छ = श्, ट/ठ = ष्, त/थ/स = स् (उदाहरण: नमः + ते = नमस्ते)
MCQs (विसर्ग संधि पर आधारित)
- ‘दुरासह’ में कौन-सी संधि है?
a) स्वर संधि
b) व्यंजन संधि
c) विसर्ग संधि
d) यण संधि
उत्तर: c) विसर्ग संधि (दुः + असह) - ‘नमस्ते’ का संधि विच्छेद है:
a) नमः + ते
b) नम + ते
c) नमः + त
d) नम + त
उत्तर: a) नमः + ते - विसर्ग संधि में विसर्ग के बाद ‘च’ आने पर विसर्ग का रूप क्या होगा?
a) स्
b) श्
c) ष्
d) र्
उत्तर: b) श् (उदाहरण: निः + छल = निश्छल) - ‘दुष्कर’ का संधि विच्छेद है:
a) दुः + कर
b) दुः + क
c) दुस् + कर
d) दु + कर
उत्तर: a) दुः + कर - ‘नीरोग’ में कौन-सी संधि है?
a) सत्व संधि
b) रुत्व संधि
c) विसर्ग लोप संधि
d) उत्व संधि
उत्तर: c) विसर्ग लोप संधि - ‘मनोहर’ में विसर्ग का परिवर्तन किसमें हुआ है?
a) स्
b) श्
c) ओ
d) र्
उत्तर: c) ओ - विसर्ग के बाद ‘ट’ आने पर विसर्ग का रूप क्या होगा?
a) स्
b) श्
c) ष्
d) र्
उत्तर: c) ष् (उदाहरण: धनुः + टंकार = धनुष्टंकार) - ‘निश्चल’ का संधि विच्छेद है:
a) निः + चल
b) निस् + चल
c) नि + चल
d) निः + च
उत्तर: a) निः + चल - ‘रामोऽवदत्’ में कौन-सी संधि है?
a) सत्व संधि
b) उत्व संधि
c) रुत्व संधि
d) विसर्ग लोप संधि
उत्तर: b) उत्व संधि - विसर्ग संधि मुख्यतः किन शब्दों में पाई जाती है?
a) तद्भव
b) तत्सम
c) देशज
d) विदेशी
उत्तर: b) तत्सम
निष्कर्ष
विसर्ग संधि हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो EMRS और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। उपरोक्त नियम, उदाहरण, और ट्रिक्स का नियमित अभ्यास आपको इस विषय में पारंगत बना देगा। MCQs के माध्यम से अपनी तैयारी को और मजबूत करें।
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इन्हें भी जाने
१. EMRS - संधि परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
२. EMRS - स्वर संधि परिभाषा, प्रकार और उदाहरण